इंतिहा ये है कि 'फ़ानी' दर्द अब दिल हो गया “हम अपनी जान के दुश्मन को अपनी जान कहते हैं नींद रक्खो या न रक्खो ख़्वाब मेयारी रखो…” आह-ओ-ज़ारी ज़िंदगी है बे-क़रारी ज़िंदगी इन में इक रम्ज़ है जिस रम्ज़ का मारा हुआ ज़ेहन तन्हाई की रातों में, दिल की https://youtu.be/Lug0ffByUck